देखो जुलाई है क्या क्या लाई…

गज़ब हैं हम दोनों

सुहाने ख्वाब आँखों में बुना करते थे हम दोनों.
परिन्दों की तरह दिल से मिला करते थे हम दोनों.
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काश ये ज़िन्दगी यूँ ही तेरी मोहब्बत में गुज़र जाए.
कुछ ऐसी ही दुआएं किया करते थे हम दोनों.
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हमेशा ठंडी हो जाती थी चाय-काफी बातों बातों में.
वो बातें, जो उन आँखों से किया करते थे हम दोनों.
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भले ही एक लम्हा मिल जाये एक दुसरे में सिमट जायें
चिरागों की तरह उस लम्हे को जला करते थे हम दोनों..
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मिले भी सिमटे भी.. एक दुसरे में समा भी गये..
अब उन्हीं यादों को एक दुसरे को, लफ़्ज़ों में बताते हैं.. हम दोनों.

गज़ब हैं हम दोनों..
😎12-July-2018
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वो हर एक लम्हा !!!

वो मुहब्बत में भीगा एक एक लम्हा
याद आता है तेरे साथ बीता हर एक लम्हा
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सदियाँ सी बीतीं मगर अभी की बात हो जैसे
दम भर सा तेरे लबों पर जिया हुआ वो हर एक लम्हा
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सिमट के बाहों में मेरी, वो खुद को मुझमें खोजना तेरा,
भूलता नहीं मैं वो तेरी सौगात का हर एक लम्हा
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हथेलियों की पकड़ में चेहरा था जब तेरा
लबों पर थे लब और वो जश्ने-इश्क का हर एक लम्हा
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अचानक एक आहट पर चौंक जाना तेरा
फिर ना-खुद हो लिपट जाने का हर एक लम्हा
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मैं आज भी पत्ते सा लरज जाता हूँ याद कर
मेरे कोरे दिल पर लिखा है वो हर एक लम्हा
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बाहों में थीं तुम और वो जाने को कहना तेरा
आज भी सिसकी सा अखरता है वो.. हर एक लम्हा
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20/07/2018

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