मार्च के रंग
March 05 2015
March 13 2018
ये भी ग़ज़ब एहसास है.. जब से लब छू लिये हैं गाता ही जा रहा हूँ।
March 31 2018
…होली है..!!
March 01 2018
……..तो समझूँ होली है !
देखी सारी दुनिया की रंगीनी
मेरी झीनी चादर पर कोरी ही है..
छुआ सबने कोई रंग चढ़ा ना
तुम छू लो.. तो होली है !
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पंख उगे है मन में मेरे
जब से तुमने गले लगाया है
अब सूख रहे हैं प्राण कंठ में
तुम अधरों से अधर मिलाओ.. तो होली है !
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ऊपर आसमाँ नीला नीला
नीचे धरती हरी भरी है
सिंदूरी मंजरियों से शाम सजे ना
तुम पहन लो चोली लाल.. तो होली है !
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झूल रहे है पलकों पर सपने
अनगिनत अरमान मिलन के
मिलने की दो घड़ियां मिली ना
तुम दौड़ लिपट जाओ मुझसे.. तो समझूँ होली है !
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फर्वरी के फूल
Feb 01 2018
Feb 04 2018
Feb 21 2018
Feb 22 2018
Feb 24 2018
Feb 26 2018
Feb 28 2018
कुछ और फूल – 3
Jan 09 2018
ये नाराज़गी कागज़ी सारी तेरी…
Jan 10 2018
jan 11 2018
jan 12 2018
jan 16 2018
Jan 20th 2018
Jan 22
24th jan 2018
25th Jan 2018
28th Jan 2018
31st Jan 2018
गुल्दस्ता * 2
Jan 26 2018
1. ऐसा लगा जैसे ज़िन्दगी मिल गई 😎
ऐसा जैसे कोई खेल रहा अपार अंगार से
ऐसा जैसे कोई करता हो मौन गान धड़कनों से
ऐसा जैसे कोई कर रहा इशारा बंद कंठ से
ऐसा जैसे कोई कह रहा हम तुम हैं एक से
तेरी आवाज ऐसे जैसे रौशनी हो गई
मुझे ऐसा लगा जैसे जिंदगी मिल गई
**
ऐसा जैसे फूल पर सूरज की किरण ठहर गई
ऐसा जैसे आलस है और नींद खुल गई
ऐसा जैसे ओस से भीगी चादर पर धूप रुक गई
ऐसा जैसे रास्ते सजे हो लाल पीले नीले कत्थई
तेरी आवाज ऐसे जैसे रौशनी हो गई
मुझे ऐसा लगा जैसे जिंदगी मिल गई
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पर कभी कभी लगा जैसे तुमने पहनी हो आज साड़ी नई 😎
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कुछ और फूल – 2
कुछ ख्व़ाब हैं जो जीना आसान किये हैं..
वर्ना इन साँसों के भरोसे तो मुश्किल बडी है 😎
Jan 7 2018
कुछ और फूल – 1
ज़िन्दगी़ के इस मोड पर यूँ जगा गये हो उनको.. जिन हसरतों को महसूस करना भूल चुके थे हम
Dec 15 2017
Dec 26 2017
Dec 28 2017
Jan 03 2018
Jan 04 2018
Jan 05 2018
Jan 06 2018
तेरी रूह में भीगे उन एहसासों को
खो जाने कैसे देता …
वक्त की धूल में यूँही दफ्न
हो जाने कैसे देता…
9/16/17
1 बस तू कुछ तो बात कर 😎
मीत ,भूल मत – बस तू कुछ तो बात कर !
किस बात का भय तुझे
किन बातों का डर तुझे
थोड़ा तो विश्वास कर , बस तू कुछ तो बात कर !!
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मेरी बातें सुनते सुनते सो जाता है
आपने सपनों में खो जाता है
मैं अकेला रह जाता आधी बात आधी रात
थोड़ा तो विश्वास कर , बस तू कुछ तो बात कर !!
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वह क्षण अमर हुआ जीवन में
आधी रात जो सुनाया गीत
पल भर का वह प्यार, बन गया, राग ये अज्ञात
थोड़ा तो विश्वास कर , बस तू कुछ तो बात कर !!
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पूर्ण कब हो ये कहानी
शुरू हुई जो अपनी, मनमानी
इसलिए दिन उदास ,शाम इन्तज़ार, रात परेशान
मीत ,भूल मत , बस तू कुछ तो बात कर !
थोड़ा तो विश्वास कर, बस , तू कुछ तो बात कर !!
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10/1/17
2 कैसे तुझको भूलूँ मैं 😎
याद तेरी जब आती है !
मन को भारी कर जाती है !!
तनहाई के झूले झूलूँ मैं !
कैसे तुझको भूलूँ मैं !!
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आँसू भी न बहाये जाते !
जग से हम लजाये जाते !!
हर गीत में तुझको ढूंढ़ूँ मैं !
कैसे तुझको भूलूँ मैं !!
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बता गये हो ,पर चले गए हो !
आजाओगे ,पर अभी देर बहुत है !!
व्याकुल ,विचलित फिरता मैं !
कैसे तुझको भूलूँ मैं !!
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जब जब आती यादें तेरी !!
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सांसें तुमको न कह पायेंगी !
ये फटे बिना कैसे रह पायेंगी !!
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बांँधे है ज़ंजीरें तेरी !
हृदय ज्वार की लहरें मेरी !!
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अपलक देखे जाती आँखें मेरी !
अनगिनत तस्वीरें तेरी !!
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4 पता नहीं- पता नहीं 😎
तेरे मन से करता प्यार हूँ
मन पर लेकर फिरता भार हूँ
तुम क्यों डरते हो, क्या मांगता प्रतिकार हूँ ?
पूछने पर कह देना.. पता नहीं- पता नहीं..
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तुम गए हो छोड़ कर
सारी हवाएं मोड़ कर
हाँ हाँ रह सकता हूँ मन को मार कर
पूछने पर कह देना पता नहीं- पता नहीं
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सारी बातें कह देता हूँ
हूँ-हूँ, हाँ-हाँ कर देती हो
कुछ पूछ बैठता हूँ जब मैं तुमसे
कह देते हो पता नहीं- पता नहीं
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क्यों लिखा है। …… पता नहीं। …. 😎
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10/4/17
5 क्या मैं सच में जीत जाता हूँ ?😎
अकेलापन , ये उदासी
लड़ता हूँ दिन भर इनसे
लड़कर लगता हैं जीत जाता हूँ
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शाम हुई तारे निकले
हुई रात हौसले डाल देता हूँ
बिना लड़े ही हार जाता हूँ
**
क्या मैं देखूँ क्या ना देख
क्या मैं सोचूँ क्या ना सोचूँ
यूँ ही रात निकाल देता हूँ
**
सूरज निकला हुआ सवेरा
आ खड़ा फिर से मैं रण में
क्या मैं सच में जीत जाता हूँ ?
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10/5/17
6 पता नहीं क्या हुआ है !😎
गा रहे हैं लोग चारों तरफ
सुन नहीं पा रहा मैं
पता नहीं क्या हुआ है !
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रोक रहें हैं सब मुझे पर
बैठ नहीं पा रहा मैं
पता नहीं क्या हुआ है !
**
काम तो बहुत हैं मुझको
कुछ नहीं कर पा रहा मैं
पता नहीं क्या हुआ है !
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कहना है आज तुमसे बहुत कुछ
पर लिख नहीं पा रहा मैं
पता नहीं क्या हुआ हैं !
**
मिलाना तय है कुछ दिनों में
पर आज सह नहीं पा रहा मैं
पता नहीं क्या हुआ हैं !
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10/8/17
7 वाह बीत गये ये दस दिन !! 😎
कभी डूबता मन जंजालो में
कभी खोजता मुझे तेरे ही खयालो में
कैसी कैसी भावनाएं मन में पल छिन
वाह बीत गये ये दस दिन !!
**
कभी साँस साँस का बढ़ता स्पंदन
कभी आँखों से बहते ये जल कण
कब -कब क्या -क्या घटता अंतर्मन
वाह बीत गये ये दस दिन !!
**
कभी देखता तुझे चित्र में
कभी ढूंढता तुझे गीत में
क्या -क्या बतलाऊँ अब गिन -गिन
वाह बीत गये ये दस दिन !!
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10/25/17
8 क्यों रोका था उसे मुस्कुराकर ?😎
सनमुख बैठा था जो दिन भर
देख रहा था आँखें मन भर भर
पढ़ रहा हो जैसे प्रेम निमन्त्रण
क्यों रोका था उसे मुस्कुराकर ?
**
स्वार्थ का था न कण भी उसमे
समर्पण ही समर्पण था जिसमे
क्या ये तुम न समझ पाये थे
क्यों रोका था उसे मुस्कुराकर ?
**
बह जाने देते वो सागर
रोक रखा था जिसे दबाकर
कुछ कहते और कुछ सुनते खुलकर
क्यों रोका था उसे मुस्कुराकर ?
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10/26/17
9 ऎसा मेरा मन बोलता है !!😎
आ बसी हो तुम मन में
तुम सरल हो शान्त हो ,
” प्यार हो तुम ”
ऎसा मेरा मन बोलता है !!
**
सो चुका था मेरा संसार
जिसे तुमने जगाया ,
“भोर हो तुम ”
ऎसा मेरा मन बोलता है !!
*
मौन हो चुका था मैं
छेड़ दिये सारे मन के तार ,
“राग हो तुम ”
ऎसा मेरा मन बोलता है !!
*
भूल चुका था अस्तित्व अपना
तुमने अहसास दिलाया,
” झनकार हो तुम ”
ऎसा मेरा मन बोलता है !!
*
भूल चुका गीत प्रकृति,सौम्यता
तुमने उन्हें फिर सुनाया ,
” श्रृंगार हो तुम ”
ऎसा मेरा मन बोलता है !!
*
मुरझाया सा था उपवन मेरा
नये वृक्ष पुष्प खिलाये तुमने,
“मुस्कान हो तुम ”
ऎसा मेरा मन बोलता है !!
*
रुक चुका था मन किसी रुदन में
उसे चलने पर ललचाया ,
“आह्वाहन हो तुम ”
ऎसा मेरा मन बोलता है !!
*
खोज सकता नहीं जिसे मैं
करके सौ तपस्या सारी ,
“वरदान हो तुम ”
ऐसा मेरा मन बोलता है !!
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10/27/17
10 मैंने तुमको देखा है !!😎
देखा उसे जो प्रेम मधु अभाव जीता है
देखा उसे जो चुप रहता है
हाँ मैंने एक जीवन देखा है
मैंने तुमको देखा है !!
*
जैसे कोई मरु में सोता है
जैसे कोई “हला” पीता है
हाँ मैंने एक जीवन देखा है
मैंने तुमको देखा है !!
*
देखा उसे जो आँखे भर-भर कर हँसता है
देखा उसे जो सब खोकर जीता है
हाँ मैंने एक जीवन देखा है
मैंने तुमको देखा है !!
*
देखा उसको द्रवित उर से हलकाते
देखा उसे विदा आलिंगन हाथ हिलाते
हाँ मैंने जीवन देखा है
मैंने तुमको देखा है !!
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11/17/17
11 आ भाग चलें कहीं दूर सहेली !!😎
अब नहीं लगता मन यहाँ
तू है ना तेरा साया जहाँ
हर पल काटने दौड़ता यहाँ
समझ नहीं आती ये अबूझ पहेली
आ भाग चलें कहीं दूर सहेली !!
**
शब्द नहीं हैं कैसे समझाऊँ
मन की बातें कैसे बतलाऊँ
तुम भी चुप हो मैं भी चुप हूँ
आ कहीं दूर जा कर चिल्लायें
आ भाग चलें कहीं दूर सहेली !!
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11/18/17
12 रूठा हुआ क्यों प्यार मेरा !😎
कैसा मन से मन का बंधन है
क्यों होता यह नित क्रन्दन है
समय लेता रोज़ परचा मेरा
रूठा हुआ क्यों प्यार मेरा !!
**
क्या मैं इस काबिल नहीं
क्या उसको मुझसे कोई चाह नहीं
क्या व्यर्थ था जीवट तेरा मेरा
रूठा हुआ क्यों प्यार मेरा !!
**
माना हर पल हर दम रोका था
पर क्यों चले संग क्या धोखा था
यह सब अब मन माने ना मेरा
रूठा हुआ क्यों प्यार मेरा !!
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11/25/17
13 मैं यहाँ पर मेरा प्यार वहाँ है !!😎
मुझे प्यार बाँधे है तुझे संसार बाँधे है
मुझे बन्धन मन का है तुझे तन -मन कण कण का है
मेरी कल्पनाएँ उन्मुक्त है
मैं यहाँ पर मेरा प्यार वहाँ है !!
**
जैसे -तुम बाहु बंधन में सरस हो
मृग नयनों से मृदु अधरों से कुंतल छाँव मुझपर किये हो
कह रही जैसे तुम सब मेरे लिये हो
अगले पल खुद को धिक्कारता मैं
मैं यहाँ पर मेरा प्यार वहाँ है !!
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जी करता है इन गेसुओं से खेलूं मैं
गोद में धर सर सारा प्यार उढेलूँ मैं
तेरे श्वास के सारे उत्पात झेलूं मैं
पर मेरी विवशतायें अनगिनत हैं
मैं यहाँ पर मेरा प्यार वहाँ है !!
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11/27/17
14 खड़ा हूँ कभी तो आवाज दो !!
खड़ा हूँ कभी तो आवाज दो !! 😎
न तू बोलती न तेरी जुबान बोलती
न जमीं बोलती न आसमान बोलता
इसी लिये मैं तेरा दिल -दिमाग टटोलता
खड़ा हूँ कभी तो आवाज दो !!
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विराट स्वपन से लदी जैसी ये आँखे तेरी
कुछ कह रहीं हों जैसे मुझे हर घड़ी
इसी मरु मरीचिका में उलझा तुझे टटोलता
खड़ा हूँ कभी तो आवाज दो !!
**
कहो -कहो क्यों न जुबान खोलती
क्यों विरह में मौन का विष घोलती
इसी भँवर में उलझा नित राह टटोलता
खड़ा हूँ कभी तो आवाज दो !!
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11/30/17
15 कितनी बातें करतीं हैं ये आँखें तुम्हारी !😎
कंचन चितवन पर ये रंग बिरंगी कारी साड़ी
लिपट तुझे इसको भी चढ़ी आज सारी खुमारी
कितनी बातें करतीं हैं ये आँखें तुम्हारी !
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बन्द होंठों से कहती हो बातें सारी
ये सादगी भी एक अदा है तुम्हारी
कितनी बातें करतीं हैं ये आँखें तुम्हारी !
**
रंग बदलते गालों की क्या बात करूँ
कहे दिल का हाल हर गुलाबी मुस्कान तुम्हारी
कितनी बातें करतीं हैं ये आँखें तुम्हारी !
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खामोशियाँ कह तो देतीं हैं बातें सारी
कभी तुम भी निभाती रस्मे-मोहब्बत प्यारी
कितनी बातें करतीं हैं ये आँखें तुम्हारी !
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रूहानी है “मोहब्बत ” बात जनता हूँ सारी
कभी बाहों में आये तो तोडूँ ये रस्में सारी
कितनी बातें करतीं हैं ये आँखें तुम्हारी !
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12/8/17
16 मै कैसे उसको बतलाऊं !!😎
सुन्दर तन है सीधी सादी
निर्मल मन है भोली भाली
वही एक अकेली मेरी है
मै कैसे उसको बतलाऊं !!
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नयनों में है स्वपन सुनहरे
अधरों पर है प्यास भरी
वह चंचल मन प्यारी मेरी है
मै कैसे उसको बतलाऊं !!
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छिपी हुई है किसी कोने में
शंका है जिसे अपने होने में
उसी से जगती सारी मेरी है
मैं कैसे उसको बतलाऊं !!
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12/8/17
17 कब मिलेगा तू.. ये मन पूछता है !!😎
सुबह सवेरे सूरज पूछता है
क्यों बैठा ज्यों अंधकार में
कब होगा तू प्रकाशमान.. ?
कब मिलेगा तू.. ये मन पूछता है !!
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इधर उधर निर्बाध हवा पूछती है
क्योंकर घूमे व्याकुल मन से
कब लेगा तू स्थिर श्वास .. ?
कब मिलेगा तू ये मन पूछता है !!
**
नील निश्छल संध्या पूछती है
क्यों ताकता रहे आसमान
कब गायेगा तू प्रणय गान … ?
कब मिलेगा तू.. ये मन पूछता है !!
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अंधियारी रजनी ये पूछती है
बैठ अकेला क्या सोचता
कब होगा तेरा अभिसार… ?
कब मिलेगा तू.. ये मन पूछता है !!
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12/14/17
18 आ आज ये फर्क मिटा दूँ !😎
सो गई है दुनिया सारी
यह तो कोई तर्क नहीं है प्यारी
चल आज न सोऊँ न सोने दूँ
आ आज ये फर्क मिटा दूँ ! !!
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शब्द नहीं जिनसे सब कह दूँ
मेरे मन का मर्म समझ तू
तू मुझको मैं तुझको अर्पित कर दूँ
आ आज ये फर्क मिटा दूँ ! !!
**
सांसों को तेरी सांसों से मिला दूँ
ये कारे केश मेरे मुख बिखरा तू
ये तेरी दुनियाँ ये मेरी दुनियाँ
आ आज ये फर्क मिटा दूँ ! !!
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